ये कहानी है जंगल राजकुमारी वन्या की .....
वन्या वनराजा और वनरानी की सबसे लाड़ली थी लेकिन उससे भी ज्यादा वो पूरे वनलत्तिका राज्य की धड़कन है उसके रोने से पूरे राज्य में हलचल मच जाती है...
पांच साल की वन्या सबकी नाक में दम कर देती थी बहुत ही शरारती वन्या केवल नीरा के ही नियंत्रण में आ पाती थी...नीरा एक शेरनी है लेकिन ये कोई साधारण सी शेरनी नहीं है इसके बड़े बड़े पंख नीला ताज इसकी खासियत है... नीरा कहीं भी उड़कर आ जा सकती थी... वन्या सबसे ज्यादा नीरा के साथ ही समय बिताती थी .... वन्या के भोलेपन ने नीरा को उसकी चहेती बना दिया था.... नीरा वन्या को अपने पीठ पर बिठाए उसे वनलत्तिका की सैर करवाती रहती थी ताकि उसका मन न उबे .......
सबकी लाडली वन्या को आज अपने पिता वनराजा के घोड़े नीलपंख की सवारी करने का मन हुआ...(नीलपंख की विशेषता कहानी में पता चलेंगी).... वन्या सबसे बचते हुए चुपके से नीलपंख पर सवार हो गई......!
नीलपंख भी आज बहुत खुश था , पहली बार राजकुमारी वन्या उसके पास आई थी , उसको खुश करने के लिए नीलपंख ने ऊंची उड़ान भरी पर वन्या थी अभी छोटी उसका वेग न झेल पाई और गिर गई... अचानक वन्या के गिरने से नीलपंख घबरा जाता है ओर वन में ढुंढने लगता है...सब जगह वन्या को ढूंढता है पर वन्या उसे कहीं नहीं मिली हताश होकर नीलपंख वापस आकर चुपचाप अपनी जगह खड़ा हो जाता है.....
काफी देर होने पर वनरानी नीरा को बुलाती है....." नीरा .... नीरा वनरानी की आवाज सुनकर महल में पहुंचती है....
" क्या बात है रानी जी....?.."
" नीरा...(पीछे देखकर कहती हैं)... वन्या कहां है तुम्हारे साथ नहीं है..."
" रानी जी हमने सुबह से वन्या को नहीं देखा...हम तो सुबह से वनराजा के साथ ही थे ... उन्हें राज्य के दशा को बता रहे थे..."
" फिर वन्या कहां..?.."वनरानी परेशान हो जाती है तुरंत भागते हुए वनराजा के पास पहुंचती है..
" महाराज...."
वनराजा अपने सभासदों से वार्ता कर रहे थे वनरानी को रूकने का इशारा किया..... किंतु वनरानी को कहां चैन था..
" महाराज वन्या को ढु़ढीए ...उसका कुछ पता नहीं..."इतना कहते ही रोने लगती है.... वनराजा जयेश हैरानी से पुछते है
" वन्या महल में नहीं है..."
नीरा : नहीं महाराज... राजकुमारी को हमने भी पूरे महल में ढूंढ लिया है लेकिन उनका कुछ पता नहीं..
राजकुमारी वन्या के खो जाने से सभी बहुत परेशान हो जाते हैं.... वनराजा सैनिकों को आदेश देते हैं राजकुमारी वन्या को ढुंढ ने का ..... स्वयं भी अपनी बेटी को ढुंढने के लिए वनराजा नीलपंख के पास पहुंचते है....नीलपंख जोकि चुपचाप मुंह लटकाते खड़ा हुआ था... वनराजा जयेश उससे भी पुछते है.." तुमने राजकुमारी वन्या को देखा है.."नीलपंख इंकार कर देता है.... लेकिन उसके अजीब तरह के व्यवहार को देखकर नीरा शक भरी नजरों से नीलपंख को देखती है.... वनराजा जयेश नीलपंख पर सवार होने ही वाले थे तभी नीरा उन्हें रोकती है.....
" वनराजा रुकिए...."
" क्या बात है नीरा अचानक हमें क्यूं रोका...?..."
" वनराजा नीलपंख जानता है राजकुमारी कहां है....आप उससे पुछिए...."
नीलपंख की आंखों में एक खौफ बैठ जाता है ...अगर उसने बताया राजकुमारी को वो गिरा आया है... तो पता नहीं उसका क्या होगा....?